आज आपको कुछ शब्दों के उद्गम व अर्थ बता रहा हूँ। इनमें से 80% का मुझे पहले से पता था 20% के बारे में आज ही जाना है सोचा लगे हाथ आपको भी घोटकर पिला दूँ।
वास्तव में सैंडविच एक जगह का नाम है जो कि ब्रिटेन के केंट में है। सैंडविच में एक अर्ल (एक शाही पदवी) हुए थे जिनका नाम जॉन मोंटेग था। अर्ल ने अपने नौकरों को खाद्य सामग्री ब्रेड के बीच में डालकर परोसने को कह रखा था। कारण हाथ साफ रहना व जुआ खेलने में सहूलियत ताकि हाथ चिकने होकर कार्ड खराब भी न हों व समय की व्यस्तता अर्थात फटाफट खाना ताकि अन्य गतिविधियां भी बाधित न हो। कालान्तर में यह तरीका मित्रों से होकर आमजन को रास आ गया। मैंने यह काफी वर्षों पहले पढा था।
2. ब्रिटेन के बिस्कुट जिन्हें कुकी भी कहा जाता है। एक कुकी है मोंटे कार्लो। यह नाम भी इसी नाम के एक शहर पर है जो कि मोनाको में है। खास बात यह है कि यह भी इटालवी लहजे का शब्द है जबकि सही नाम मोंटे चार्ल्स है जो कि उस समय के राजकुमार का नाम है। इसी तरह बर्बन बिस्कुट भी बर्बन फ्रेंच हाऊस के नाम पर है जो कि बर्बनेस नामक शहर में है। दैनिक उपयोगी कॉफी भी एक प्राचीन साम्राज्य काफा के नाम पर रखा गया है। वर्तमान में जिसे हम इथोपिया कहते हैं। सार्डीन नामक मछली भी सार्डीनिया नामक द्वीप के पीछे रखा गया है।
3. कुछ विशेष तरह के पनीरों के नाम भी किसी न किसी स्थान विशेष पर रखे गये हैं। जैसे पारमेजन पनीर। इसका नाम इटली के पार्मा नामक क्षेत्र के नाम पर क्योंकि यह मूल रूप से वहीं बनता है। इसे पनीरों में सर्वश्रेष्ठ पनीर कहा जाता है। इसी प्रकार बिट्टो नदी के नाम पर बिट्टो पनीर का नाम रखा गया है जो कि लम्बार्डी नदी के समीप है। इसी तरह समरसेट के चेड्डार गाँव के नाम से चेड्डार पनीर प्रसिद्ध है।
4. शराब से सम्बन्धित कुछ शब्द भी ऐसे ही हैं। नाम सुनकर पीने मत लग जाना बस जानकारी भर दे रहा हूँ। फ्रांस में शैम्पेन नामक क्षेत्र के नाम पर ही अंगूर निर्मित झागवाला शैंपेन है। स्कॉच शब्द स्कॉटलैंड से निकला है। इसी तरह मैक्सिको के तकीला शहर के नाम पर प्रसिद्ध तकीला दारू है। इनके बारे में भी काफी पहले से पता है। इस वाक्य कुछ और अर्थ मत लगा लेना।
5. शेचवान नामक व्यंजन जिसमें लहसुन, लाल मिर्च, चावल इत्यादि उपयोग में लिये जाते हैं इसका नाम भी चीन के सिचुआन प्रांत पर ही रखा गया है। इसी तरह मंचूरियन जो कि चीन व भारत के स्वाद के मिश्रण का स्थानीय उत्पाद है। ये भी मंचूरिया (पूर्वोत्तर चीन) के नाम पर ही है। वहाँ के निवासी को मंचूरियन कहा जाता है। स्पष्ट है कि किसी मंचूरियन ने इसको सर्वप्रथम बनाया तो यह भी मंचूरियन ही कहा गया।
6. इमली को अरबी में तामार इंडी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है भारत के खजूर जो कि अंग्रेजी में टमरिंड हो गया। प्राचीन लैटिन में इसे टामारिंडस कहा जाता था।
7. प्रिय पाठकों मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि जो शब्द मैं अब लिखने जा रहा हूँ इसके बारे में 99% भारतीय अंग्रेजी पढ़ने वालों को नहीं पता है। अगर कुछ सुधीजनों को छोड़ दें। यह अजीब व अहंकारी वक्तव्य लग सकता है पर सत्य है। इसके बारे में मैंने 25 वर्षों पहले पढा था। जब मैं ब्रिटेन गया तो इसे सही भी पाया हालांकि भारत में ऐसा नहीं है। शब्द है टाइमपास। अब मैं अगर आपको कहूँ कि अंग्रेजी में टाइमपास नामक शब्द का कोई अस्तित्व ही नहीं है तो झटका तो जरूर लगेगा। आपका सर्वप्रिय शब्द ही नकली निकला। बात यह है कि काफी वर्षों पहले एक भारतीय कम्पनी ने मसालेदार मूँगफली या समझिये कि एक खाद्य सामग्री निकाली थी पैकेट में। उस पैकेट का नाम था टाइमपास और यह शब्द तब से भारतीय जनमानस का सर्वप्रिय शब्द बन गया जबकि अंग्रेजी में ऐसा कोई शब्द होता भी नहीं है व कोई अंग्रेज ऐसे बोलता भी नहीं है। अंग्रेजी में समान भावार्थ अगर दर्शाना चाहें तो आप पासिंग टाइम कह सकते हैं।
8. एक और शब्द जो हम सब जानते हैं वो है स्टेपनी जो कि अंग्रेजी में है ही नहीं। काफी वर्षों पहले भारत में एक ब्रिटिश कम्पनी थी जो कि टायर बनाती थी। उसका नाम स्टेपनी था। स्टेपनी नाम उन्होंने वहाँ की गली के नाम पर रखा था जो कि वेल्स में है। इसका पूरा नाम था स्नेटपनी स्पेयर टायर। हमने इसे पकड़ लिया व बस का टायर पंचर होते ही चिल्लाने लगते हैं खड़े हो जाओ स्टेपनी निकालनी है। अंग्रेज बिल्कुल भी नहीं जानते स्टेपनी क्या होती है। वे इसे एक्स्ट्रा टायर या स्पेयर टायर ही कहते हैं।
9. अब जो शब्द मैं बताने जा रहा हूँ उसे तो सब जानते ही हैं वह शब्द है एनफील्ड। वहीं आपकी आपकी प्यारी बुलट मोटरसाइकिल। एनफील्ड ब्रिटेन में एक स्थान का नाम है जोकि मिडलसेक्स में पड़ता है जहाँ ये सर्वप्रथम बननी शुरू हुई थी।
मैंने जानबूझकर बिस्किट को बिस्कुट, पंक्चर को पंचर व बुलेट को बुलट लिखा है क्योंकि हिन्दी में ऐसे ही स्वीकृत हैं।
लेख अच्छा लगे तो अग्रेषित कीजिये व त्रुटि महसूस हो तो ध्यानाकर्षित कीजिये। इन लेखों को लिखने में, हिन्दी की वर्तनी की शुद्धता बनाये रखने में, हिन्दी को संस्कृतनिष्ठ बनाये रखने में व शब्दों के चयन में समय बहुत लगता है फिर भी ठीक है।
आपका राजेश कुमार जाँगिड़
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