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आपके ध्यानाकर्षण के लिए।

 पश्चिमी देशों में बच्चे गुंडे मवालियों सा अमर्यादित व्यवहार क्यों करते हैं ? 

पूर्वी देशों में बच्चों को नैतिक मूल्यों और नैतिकता की शिक्षा दी जाती है।  माता-पिता को बुरा लगता है अगर उनके बच्चे अपशब्द बोलते हैं।  यदि आप अपशब्द बोल रहे हैं तो अजनबी भी आपको सार्वजनिक रूप से टोक सकते हैं।  इन देशों में संयुक्त परिवार प्रणाली है। पश्चिमी देशों की तरह अनावश्यक हस्तक्षेप करने वाली कोई सरकारी संस्था नहीं है।

जबकि पश्चिमी देशों में यह बहुत ज्यादा है।  बच्चे बचपन से ही बिगड़ैल होते हैं।  गाली देना वे अपने माता-पिता से सीखते हैं, टेलीविजन से व अपने अपने परिवेश से भी ।  माता-पिता को कोई भी आपत्ति नहीं होती है क्योंकि यह उनकी अपनी मानसिकता के अनुसार सामान्य है।

मैं उन पूर्वी देशों के माता-पिता का समर्थन नहीं कर रहा हूं जो अपने बच्चों पर अत्याचार करते हैं, मैं उन पश्चिमी माता-पिता का भी समर्थन नहीं कर रहा हूं जो अपने बच्चों पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं।

यदि आप अपने बच्चे को हर समय तंग करते हैं तो वह या तो डरपोक होगा या विद्रोही इसके विपरीत यदि आप अपने बच्चों को बिगाड़ते हैं और उनकी गतिविधियों को नियंत्रित और निगरानी नहीं करते हैं तो आप अपना जीवन वृद्धाश्रम में या अकेले अपने घर में उल्लू की तरह जीने के लिए तैयार रहें। पूर्वी देशों में सामाजिक व्यवस्था अलग होती है।  लोग एक-दूसरे को उनके गाँवों और शहरों में जानते हैं इसलिए बच्चे निश्चित रूप से अपने तरीके से व्यवहार करने में शर्म महसूस करेंगे, बल्कि वे विनम्रता से व्यवहार करेंगे।  वे डर जाएंगे कि क्या होगा अगर यह व्यक्ति मेरे माता-पिता से शिकायत करेगा ? माता-पिता भी अपने बच्चों की गलती होने पर उनका अनावश्यक पक्ष नहीं लेते हैं।

पश्चिम में इसके विपरीत माता-पिता शिकायतों को व्यक्तिगत रूप से लेते हैं।  वहाँ पर आपको उत्तर मिलेगा '' इससे आपको कोई मतलब नहीं। आप अपना कार्य करें।'' सरकारें भी बाल सुरक्षा और संरक्षण के नाम पर बेवजह दखल देती हैं।  पश्चिम में समाज व्यवस्था नहीं है।  बच्चे किसी से नहीं डरते।  कोई दबाव नहीं।  माता-पिता भी डरते हैं कि कहीं बच्चों को सरकारी संस्था अपने साथ न ले जाये। 

परिणाम स्पष्ट हैं कि बच्चे (लड़कियां और लड़के दोनों समान रूप से) चाकुओं के साथ सड़कों पर घूम रहे हैं।  आप सड़क पर किसी मुक्केबाज से उलझ सकते हैं, कोई समस्या नहीं है।  वह आपको मारेगा व घायल कर देगा या फिर धमकी देगा लेकिन अगर आप बाल गिरोह के खिलाफ हैं तो वे आपको जिंदा नहीं जाने देंगे।

आखिरी चीज है न्याय व्यवस्था वो भी ढीली - ढाली सी ही है। बच्चे जानते हैं कि वे किसी को भी मार सकते हैं और कुछ भी नहीं होगा। नाबालिग होने का फायदा होगा। महीने या साल 2 साल के सामाजिक कार्य के बाद इसे फिर से वही सब करने के लिए स्वतंत्र रूप से सड़कों पर घूमते दिखाई देंगे। 

इसलिए पूर्वी देशों में बच्चे (उन्हें छोड़कर जिन्हें परिवार या गिरोह द्वारा मजबूर किया जाता है। ) दुकानों में चोरी करने में में कभी भी लिप्त नहीं पाए जाते हैं लेकिन पश्चिमी देशों में नाबालिग इसे गर्व के साथ करते हैं।  मुझे समझ नहीं आ रहा है कि ये अपने बच्चों को क्या भविष्य दे रहे हैं।

अंत में मैं यह कहना चाहता हूं कि बच्चे एक छोटे से पौधे की तरह होते हैं जिसकी आपको गहन देखभाल और नियंत्रण और निश्चित रूप से अंतहीन प्यार की आवश्यकता होती है।  माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के साथ समय बिताएं और उन्हें अच्छे और बुरे से फर्क करना सिखायें ताकि वे भविष्य में जिम्मेदार नागरिक बन सकें। अन्यथा आपका बच्चा चमकने से पहले ही मुरझा जाएगा।  एक बार जब बच्चा नियंत्रण से बाहर हो जाता है तो इसका मतलब हमेशा के लिए चला जाता है।

बच्चे अपने माता-पिता से सीखते हैं और जन्म से ही उनका अनुसरण करने की कोशिश करते हैं। अगर माता-पिता निकम्मे और नशेड़ी हैं तो बच्चे क्या उम्मीद कर सकते हैं?

इसलिए मुझे लगता है कि एक अच्छा अभिभावक होने का गुण माता-पिता में या पालक में अवश्य होना चाहिए।  हमें इस पर ध्यान देना चाहिए कि इस पर कैसे काम किया जाए, चाहे यह सरकारों, संस्थाओं, मशहूर हस्तियों, नेताओं या हमारे आदर्शों द्वारा शुरू किया गया हो।  स्वस्थ बचपन सर्वदा देश के स्वास्थ्य को दर्शाता है।  यह हमें अपराधों और अनगिनत सिरदर्द से बचाएगा।

मुझे आशा है कि मैं अपनी बात को स्पष्टरूपेण कह पाया हूँ। यदि पाठकों को लगता है कि मैंने कुछ गलत लिखा है, तो कृपया मुझे बतायें, ताकि मैं खुद को सुधार सकूं और लेख में भी सुधार कर सकूं।  आपके समर्थन, प्यार और समय के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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